कोरोना (Corona):क्या india का हेल्थ सिस्टम गांव के मरीज़ों का इलाज कर पाएगा ?
अभी तक भारत के किसी गांव से कोरोना वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन अगर यह महामारी व्यापक रूप से फैलती है तो क्या ग्रामीण इलाकों...
अभी तक भारत के किसी गांव से कोरोना वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन अगर यह महामारी व्यापक रूप से फैलती है तो क्या ग्रामीण इलाकों की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं इसे संभाल सकती हैं?
क्योंकि भारत के ग्रामीण इलाक़े न तो हर मरीज़ को बेड मुहैया करा सकते हैं न ही इनमें पर्याप्त संख्या में डॉक्टर हैं जो कि हर मरीज़ को अटेंड कर सकें . ग्रामीण इलाकों में कितने डॉक्टर हैं ? 1 डाक्ट र हर 70 , 000 लोगों पर पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में 1 डाक्टर हर 50 , 000 लोगों पर बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्रोत : ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2019
भारत के सरकारी अस्पतालों में औसतन 1700 लोगों के लिए एक बिस्तर उपलब्ध है. ग्रामीण भारत में प्रति 3100 व्यक्ति पर एक बिस्तर उपलब्ध है. यानी ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत के मुकाबले लगभग आधी कम है.स्रोत : ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2019
शहरी इलाकों में करीब 800 लोगों के लिए एक बिस्तर उपलब्ध है. शहरी इलाकों में यह उपलब्धता राष्ट्रीय औसत की लगभग दोगुना ज्यादा है, जबकि ग्रामीण इलाकों के मुकाबले चार गुना ज्यादा है.
छींकने और खांसने के बाद हाथ धोएं।
बीमार व्यक्ति से मुलाकात के बाद हाथ धोएं।
शौचालय के इस्तेमाल के बाद हाथ धोएं।
खाने बनाने और खाने के बाद हाथ धोएं।
पशुओं को छूने के बाद हाथ धोएं।
खांसी या छींकने पर टिशू का इस्तेमाल करें या कोहनी से ढकें।
छींकने और खांसने वालों से रखें दूरी
क्योंकि भारत के ग्रामीण इलाक़े न तो हर मरीज़ को बेड मुहैया करा सकते हैं न ही इनमें पर्याप्त संख्या में डॉक्टर हैं जो कि हर मरीज़ को अटेंड कर सकें . ग्रामीण इलाकों में कितने डॉक्टर हैं ? 1 डाक्ट र हर 70 , 000 लोगों पर पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में 1 डाक्टर हर 50 , 000 लोगों पर बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्रोत : ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2019
भारत के सरकारी अस्पतालों में औसतन 1700 लोगों के लिए एक बिस्तर उपलब्ध है. ग्रामीण भारत में प्रति 3100 व्यक्ति पर एक बिस्तर उपलब्ध है. यानी ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत के मुकाबले लगभग आधी कम है.स्रोत : ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2019
शहरी इलाकों में करीब 800 लोगों के लिए एक बिस्तर उपलब्ध है. शहरी इलाकों में यह उपलब्धता राष्ट्रीय औसत की लगभग दोगुना ज्यादा है, जबकि ग्रामीण इलाकों के मुकाबले चार गुना ज्यादा है.
छींकने और खांसने के बाद हाथ धोएं।
बीमार व्यक्ति से मुलाकात के बाद हाथ धोएं।
शौचालय के इस्तेमाल के बाद हाथ धोएं।
खाने बनाने और खाने के बाद हाथ धोएं।
पशुओं को छूने के बाद हाथ धोएं।
खांसी या छींकने पर टिशू का इस्तेमाल करें या कोहनी से ढकें।
छींकने और खांसने वालों से रखें दूरी